Uttarakhand Traditional Dress उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद स्थित धारचूला तहसील में रहने वाली शौका (रं) जनजाति के लोग जब खास पर्वों और आयोजनों में अपनी परंपरागत वेशभूषा पहनकर आते हैं तो बड़ा सुकून मिलता है। लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने की जो कोशिश की है वह निरंतर आगे बढ़ रही है। नई पीढ़ी भी रंगा और च्युंगबाला पहनने में कोई संकोच नहीं करती।
ज्योज्यंग और व्यणटलो
रं समाज के लोग खास मौकों जैसे बारात, पूजा, किसी पर्व, त्योहार, किसी वीआईपी के स्वागत के समय पुरुष रंगा पहनते हैं। रंगा ऊन का गाउन होता है। कमर में कमरबंद लगाई जाती है। इसे ज्योज्यंग कहते हैं। रंगा पहनने के बाद पुरुष पगड़ी जरूर पहनते हैं। पगड़ी को व्यणटलो कहा जाता है।
च्युंग और बाला
महिलाओं की परंपरागत पोशाक को च्युंगबाला कहा जाता है। कमर से ऊपर पहने जाने वाले वस्त्र को च्युंग और कमर से नीचे पहने जाने वाले वस्त्र को बाला कहते हैं। इन दोनों को मिलाकर च्युंगबाला बनता है। च्युंगबाला को भी बारीक ऊन को कातकर तैयार किया जाता है। इनको रंगने के लिए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है। हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाली छिरठ्या जड़ी, भोजपत्र और ओक के बीजों ने इनकी रंगाई होती है।
प्राकृतिक रंगों से रंगने के बाद इन कपड़ों की खासियत यह रहती है कि वर्षों तक इनका रंग फीका नहीं होता। महिलाएं च्युंगबाला के साथ गले में चांदी से बना चंद्रहार, बांहों में बांहा, बाली जैसे आभूषण भी धारण करती हैं। रंगा और च्युंगबाला रं समाज की पहचान है। समाज के लोग इस पहचान को बनाए रखने के लिए सजग हैं।
Credit – Shri Krishna Garbyal and Hemant Painuli