आज आपको एक ऐसे प्राथमिक विद्यालय से रूबरू करा रहे हैं, जिसकी स्थापना आजादी से पूर्व सन् 1926 में हुई थी। जहाँ सन् 1942 से प्रवेशित बच्चों के अभिलेख आज भी मौजूद हैं। इस विद्यालय में पहली लड़की का प्रवेश कुमारी तुलसी पुत्री श्री इन्नीराम के नाम से दर्ज है। इसके अलावा सन् 1944 से कार्यरत प्रधानाध्यापकों की सूची विद्यालय में उपलब्ध है। ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित यह विद्यालय है उत्तराखंड के बागेश्वर जिले का प्राथमिक विद्यालय (Primary School Bageshwar)। विद्यालय के अभिलेखानुसार सन् 1956 से विद्यालय का नाम अपर प्राइमरी पाठशाला बागेश्वर तथा 1970 से प्राइमरी पाठशाला बागेश्वर लिखा जाने लगा और अब अप्रैल 2016 से विद्यालय आदर्श प्राथमिक विद्यालय के नाम से जाना जाने लगा है। जिले के श्री बलवंत कालाकोटी ने ब्रिटिश कालीन स्थापित इस प्राथमिक विद्यालय की कुछ रोचक जानकारी उपलब्ध कराई हैं। जो इस प्रकार है –
यहाँ उपलब्ध हैं सन् 1942 से प्रवेशित बच्चों के अभिलेख
सन् 1926 में स्थापित उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के प्राथमिक विद्यालय में सन् 1942 से प्रवेशित बच्चों के अभिलेख तथा सन् 1944 से कार्यरत प्रधानाध्यापकों की सूची उपलब्ध हैं। विद्यालय प्रवेश पंजिका विवरण से ज्ञात होता है कि आजादी से पूर्व ब्रिटिश भारत में अंग्रेजी और उर्दू के ही अधिकांश शब्द दस्तावेजों में प्रयुक्त होते थे। उस समय आंगनबाड़ी को प्रिपेरेटरी , कक्षा 1-2 को लोअर प्रायमरी, कक्षा तीन चार को अपर प्राइमरी और कक्षा 5 व 6 को लोअर मिडिल कहां जाता था। सन 1947 तक कक्षा चार तक की ही पढ़ाई होती थी। आजादी के बाद कक्षा 1,2 ,3 ,4, 5 को क्रमशः पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी व पांचवी कहा जाने लगा तभी से कक्षा 5 की पढ़ाई भी शुरू हुई।
विद्यार्थी – तालिब इल्म और विद्यालय – मदरसा
विद्यालय के अभिलेखानुसार आजादी से पूर्व बागेश्वर के इस प्राथमिक विद्यालय में विद्यार्थी को तालिब इल्म और विद्यालय को मदरसा कहा जाता था। आजादी के बाद अभिलेखों में हिंदी शब्दों का प्रयोग शुरू हो गया। अभिलेखों में सन् 1956 से विद्यालय का नाम अपर प्राइमरी पाठशाला बागेश्वर तथा 1970 से प्राइमरी पाठशाला बागेश्वर लिखा जाने लगा। अब अप्रैल 2016 से विद्यालय आदर्श प्राथमिक विद्यालय के नाम से जाना जाने लगा है। ज्ञात हो सन् 1974 से पूर्व बागेश्वर की तहसील भी अल्मोड़ा थी।
सन् 1944 से अभी तक के प्रधानाध्यापकों की सूची
बागेश्वर के प्राथमिक विद्यालय में सन् 1944 से अभी तक कार्य कर चुके प्रधानाध्यापकों की सूची इस प्रकार है-
- श्री गोपाल सिंह 1944 से 1945
- श्री कमलापति पंत 1945 से 1947
- श्री धर्मानंद त्रिपाठी 1947 से 1948
- श्री गंगा दत्त जोशी 1948 से 1950
- श्री दीवान सिंह डसीला 1949 से 1951
- श्री प्रेम बल्लभ 1951 से 1956
- श्री गोविंद बल्लभ 1956 से 1959
- श्री भगवत सिंह परिहार 1959 से 1962
- श्री अमरनाथ पांडे 1962 से 1988
- श्री बालादत्त तिवारी 1988 से 2001
- श्रीमती बसंती हरडि़या 2001 से 2016 तक।
सर्वाधिक 26 वर्षों तक श्री अमरनाथ पांडे जी के द्वारा इस विद्यालय का संचालन किया गया।
विद्यालय में सन् 1975 में हुआ पहली लड़की का प्रवेश
प्रवेश पंजिका से ज्ञात होता है कि सन् 1942 से 1945 तक प्रथम सौ बच्चों में 35% ब्राह्मण, 48% क्षत्रिय, 13% वैश्य, दो प्रतिशत अल्पसंख्यक तथा दो प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चे अध्ययनरत थे। पहला अनुसूचित जाति का बच्चा महेश लाल पुत्र श्री किशोरी लाल निवासी कत्यूर बाजार का प्रवेश 1946 में हुआ। लड़कियों में सर्वप्रथम प्रवेश कुमारी तुलसी पुत्री श्री इन्नीराम का सन् 1975 में दर्ज़ है।
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