उत्तराखंड के मंदिर लोगों की आस्था और विश्वास के प्रमुख केंद्र हैं। इसीलिये यहाँ वर्षभर श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है। स्थानीय लोगों में इन मंदिरों की विशेष मान्यता है। स्थानीय लोगों द्वारा यहाँ बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ पूजा-पाठ का आयोजन संपन्न करवाया जाता है, जहाँ आसपास के गांवों के अलावा प्रदेश के अलग-अलग जिलों से श्रद्धालु पहुँचते हैं।
ऐसा ही एक मंदिर बागेश्वर जिले से करीब 60 किमी दूर सनगाड़ गांव स्थित श्री 1008 नौलिंग देव का है, जो अपनी भव्यता और आस्था के कारण पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। यहाँ चैत्र और आश्विन महीने की नवरात्रों में नौलिंग देव की भव्य पूजा का आयोजन होता है। लोगों का मानना है कि यदि कोई संतानहीन महिला मंदिर में 24 घंटे का अखंड दीया जलाती है तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है।
नौलिंग देवता के प्रकट होने की कहानी
बागेश्वर के सनगाड़ मंदिर में स्थापित नौलिंग देवता कैसे प्रकट हुए, इस पर एक रोचक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि शिखर पर्वत स्थित श्री 1008 मूल नारायण भगवान की पत्नी सारिंगा से बज्यैंण देवता का जन्म हुआ। पांचवें दिन के स्नान के लिए वह पचार गांव स्थित धोबीघाट के नौले में गईं। स्नान के बाद नौले से एक बच्चा प्रकट हो गया। सारिंगा ने बालक को बंज्यैण देवता समझकर उसे पीठ में रखकर शिखर पर्वत ले आईं। बंज्यैण को डलिया में देखकर वह हैरत में पड़ गई। उन्होंने इस घटना की जानकारी मूूल नारायण भगवान को दी।
नौले से प्रकट बालक का नाम मूल नारायण ने नौलिंग रखा। बड़े होने पर दोनों को काशी पढ़ने के लिए भेजा। पढ़ाई के बाद दोनों शिखर पर्वत लौटे। तब भनार गांव में चनौल ब्राह्मण का आतंक था। मूल नारायण जी ने बड़े बेटे बंज्यैण को भनार भेजा। चनौल ब्राह्मण के वध के बाद वह भनार गांव में ही स्थापित हो गए।
नौलिंग देव जी ने किया था सनगड़िया राक्षस वध
इधर, सनगाड़ गांव में सनगड़िया राक्षस ने आतंक मचाया था। तब वह नर बलि लेता था। मूल नारायण जी ने नौलिंग को सनगाड़ भेजा। नौलिंग देव और सनगड़िया राक्षस के बीच नौ दिन तक युद्ध होते रहा। दसवें दिन नौलिंग देव जी और सनगड़िया राक्षस के बीच पास के ही ताल में भयानक युद्ध हो गया। इसी ताल में डुबाकर नौलिंग देव जी ने सनगड़िया राक्षस का अंत कर दिया और क्षेत्र के लोगों को इस राक्षस के अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। आज भी यह ताल मंदिर के समीप मौजूद है।
सनगाड़ मंदिर का जीर्णोद्धार
सनगाड़ मंदिर का जीर्णोद्धार क्षेत्रवासियों के सहयोग से करीब 25 वर्ष पहले पंजाब के जूना अखाड़ा के श्री महंत बद्री गिरी महराज के मार्गदर्शन में हुआ था। यहां हर वर्ष चैत्र और आश्विन माह में नवरात्र पर मेला लगता है। मंदिर के पुजारी महोली गांव के धामी परिवार हैं, जबकि पूजा-अर्चना कराने की जिम्मेदारी गोंखुरी के पंत लोगों की है।
मंदिर में नौलिंग देवता को षटरस भोजन का भोग लगता है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु घंटी घड़ियाल, चांदी के छत्र, पूजा के काम आने वाली वस्तुओं के अलावा अपने पूर्वजों की स्मृति में धर्मशाला का भी निर्माण करते हैं।
कैसे पहुंचें
बागेश्वर जनपद मुख्यालय से नौलिंग देवता मंदिर सनगाड़ की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। मंदिर तक आप अपने वाहन या स्थानीय टैक्सी द्वारा जा सकते हैं। बागेश्वर से मंदिर जाने के लिए कांडा, कमेड़ीदेवी, धरमघर होते हुए सनगाड़ तक पहुंचा जाता है। इसके अलावा आप बागेश्वर से बालीघाट, दोफाड़, रीमा होते हुए भी सनगाड़ मंदिर तक जा सकते हैं।
बागेश्वर-दानपुर के प्रमुख तीन शक्तिपीठों में से एक पोथिंग शक्तिपीठ | Devi Bhagwati Shakti Peetha Pothing