फूलदेई 14 मार्च को, छरड़ी (होली) 15 मार्च को, यहाँ पढ़ें-

phooldei festival uttarakhand

Phool dei in Uttarakhand : उत्तराखंड में फूलदेई त्योहार मीन संक्रांति के दिन यानी 14 मार्च 2025 को मनाया जायेगा वहीं होली 15 मार्च को मनाई जाएगी। होली के रंगों के बीच बसंत के रंग-बिरंगे फूलों के साथ बच्चे अपने लोकपर्व मनाने की तैयारी में जुटे हैं। जगह-जगह खिले बुरांश, प्योंली के फूलों से बच्चों में नया उत्साह है। वहीं पारंपरिक रूप से फूलदेई पर्व मनाने के लिए बच्चों के लिए रिंगाल की कैंडी (टोकरी) की लाल मिट्टी से पुताई कर सुन्दर वसुधारे डाले जा रहे हैं। जिसमें बच्चे फूलदेई के दिन फूल लेकर घर-घर जायेंगे।

चैत्र के प्रथम दिन को मनाये जाने वाले फूलदेई त्योहार के लिए जंगलों में खिले बुरांश, मेहल, बासिंग के फूल चुनकर लाये जायेंगे। खेतों में खिले भिटौर के फूल, घर के आसपास खिली प्योंली, आड़ू और खुमानी के कुछ फूल फूलदेई के दिन बच्चों की फूल टोकरी में सजकर हर घर की देहरी पर बिखेरे जायेंगे।

बच्चे फूलदेई गीत – “फूलदेई, छम्मा देई। दैणी द्वार, भर भकार। यो देई कैं बारम्बार नमस्कार। फूलदेई, छम्मा देई” गाकर घर को आशीर्वचन देंगे। हर घर द्वारा उन्हें उपहार स्वरुप कच्चे चांवल, गुड़ और सिक्के प्रदान किये जायेंगे। सायं इन चांवलों और गुड़ से यहाँ के पारम्परिक पकवान ‘साई’ बनाकर लोगों में बांटने की परम्परा है। आज के दिन से कुमाऊँ में बेटियों को दी जाने वाली भिटोई (भिटौली) शुरुवात हो जाती है।

तो ऐसे हुई फूलदेई की शुरुवात !

शिव के कैलाश में सर्वप्रथम सतयुग में पुष्प की पूजा और महत्व का वर्णन सुनने को मिलता है। पुराणों में वर्णित है कि शिव शीत काल में अपनी तपस्या में लीन थे ऋतू परिवर्तन के कई बर्ष बीत गए लेकिन शिव की तंद्रा नहीं टूटी। माँ पार्वती ही नहीं बल्कि नंदी शिव गण व संसार में कई वर्ष शिव के तंद्रालीन होने से बेमौसमी हो गये। आखिर माँ पार्वती ने ही युक्ति निकाली।

कविलास में सर्वप्रथम प्योंली के पीले फूल खिलने के कारण सभी शिव गणों को पीताम्बरी जामा पहनाकर उन्हें अबोध बच्चों का स्वरुप दे दिया। फिर सभी से कहा कि वह देवक्यारियों से ऐसे पुष्प चुन लायें जिनकी खुशबू पूरे कैलाश को महकाए। सबने अनुसरण किया और पुष्प सर्वप्रथम शिव के तंद्रालीन मुद्रा को अर्पित किये गए जिसे फूलदेई कहा गया।

साथ में सभी एक सुर में आदिदेव महादेव से उनकी तपस्या में बाधा डालने के लिए क्षमा मांगते हुए कहने लगे- फुलदेई क्षमा देई, भर भंकार तेरे द्वार आये महाराज ! शिव की तंद्रा टूटी बच्चों को देखकर उनका गुस्सा शांत हुआ और वे भी प्रसन्न मन इस त्यौहार में शामिल हुए तब से पहाड़ों में फूलदेई पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाने लगा जिसे आज भी अबोध बच्चे ही मनाते हैं और इसका समापन बूढ़े-बुजुर्ग करते हैं।

फूलदेई 14 मार्च को, छरड़ी (होली) 15 मार्च को

  • फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत आज यानी, दिनांक 13 मार्च 2025 को है और स्नान दान की पूर्णिमा दिनांक 14 मार्च 2025 को है, पूर्णिमा तिथि दिनांक 13/03/25 सुबह 10:41 से प्रारंभ होकर दिनांक 14/03/25 को सुबह 11:22 बजे तक रहेगी, यही कारण है कल रात को होलिका दहन ( मासांत भी है) होगा।
  • होली का त्यौहार प्रतिपदा, को मनाया जाता है इसलिए प्रतिपदा दिन में लगने की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में दिनांक 15 मार्च 2025 को मनायी जायेगी। वहीं 14 मार्च 2025 को मीन संक्रांति है यानी फूलदेई संक्रांति, अतः इसी दिन Phooldei Festival मनाया जाएगा।

Join WhatsApp

Join Now