उत्तराखंड के कुमाऊं में होली की बैठकें बड़ी शान से आयोजित की जाती हैं, जो होली से प्रायः एक-डेढ़ माह पूर्व शुरु यानी पौष महीने के पहले रविवार से प्रारम्भ हो जाती हैं और होली के दिनों में अपने चरम उत्कर्ष पर रहती हैं। इनमें ठुमरी अंग के अनुकरण पर रागबद्ध होलियां गाई जाती हैं। काफी, देश, धमार, खमाज, पीलू, शाहना, जैजैवन्ती, बिहाग, भैरवी आदि राग-रागिनियों की बड़ी प्यारी बन्दिशें इन होलियों में मिलती हैं। आमलकी एकादशी को चीर बंधन के बाद रंगों के साथ होली की शुरुआत होती है, जिसमें खड़ी होली गाने की परम्परा है और घर-घर होल्यार पहुंचे हैं।
कुमाऊंनी होली और संस्कृति के जानकारों के अनुसार कुमाऊं में होली गीतों का प्रचलन बृज के लोगों ने किया। सैकड़ों साल पहले जब मनोरंजन के साधन नहीं थे तब रामलीला और नौटंकी में निपुण बृज के कलाकार यहां आते थे और एक दो माह यहां रहकर लोगों का मनोरंजन करते थे। इन्हीं लोगों के माध्यम से बृज के गीतों का यहां हस्तांतरण हुआ। यही कारण है कि कुमाऊंनी होली में बृज का पुट है। यहाँ पढ़िए कुमाऊंनी होली गीतों को –
Kumaoni Holi Song Lyrics
होली-01, सिद्धि को दाता
सिद्धि को दाता, विघ्न विनाशन,
होली खेलें, गिरिजापति नन्दन ।२।
गौरी को नन्दन, मूषा को वाहन ।२।
होली खेलें, गिरिजापति नन्दन ।२। सिद्धि…
लाओ भवानी अक्षत चन्दन।२।
तिलक लगाओ गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
लाओ भवानी पुष्प की माला ।२।
गले पहनाओ गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
लाओ भवानी, लड्डू वन थाली ।२।
भोग लगाओ, गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
गज मोतियन से चौक पुराऊं ।२।
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
ताल बजाये अंचन-कंचन ।२।
डमरु बजावें शम्भु विभूषन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि…
होली-02, शिव के मन माहि
शिव के मन माहि बसे काशी
शिव के मन माहि बसे काशी -२
आधी काशी में बामन बनिया,
आधी काशी में सन्यासी, शिव के मन
काही करन को बामन बनिया,
काही करन को सन्यासी, शिव के मन…
पूजा करन को बामन बनिया,
सेवा करन को सन्यासी, शिव के मन…
काही को पूजे बामन बनिया,
काही को पूजे सन्यासी, शिव के मन…
देवी को पूजे बामन बनिया,
शिव को पूजे सन्यासी, शिव के मन…
क्या इच्छा पूजे बामन बनिया,
क्या इच्छा पूजे सन्यासी, शिव के मन…
नव सिद्धि पूजे बामन बनिया,
अष्ट सिद्धि पूजे सन्यासी, शिव के मन…
होली-03, हरि खेल रहे
हरि खेल रहे हैं होली,
देबा तेरे द्वारे में।
टेसू के रंग में रंगे कपोल हैं,
चार दिशा दिशा फाग के बोल हैं,
उड़त अबीर गुलाल,
देबा तेरे द्वारे में।
हरि खेल …
हाथ लिए कंचन पिचकारी,
गावत खेलत सब नर नारी,
भीग रहे होल्यार,
देबा तेरे द्वारे में।
हरि खेल …
भाग कि मार पड़ी उसके सर,
कौन अभाग है शिव शिव हर हर,
कैसा है लाचार,
देबा तेरे द्वारे में।
हरि खेल …
गिरिका भी खेलें बची का भी खेलें,
बचुली सरुली और परुली भी खेलें,
कौन करे इंकार,
देबा तेरे द्वारे में।
हरि खेल रहे हैं होली,
देबा तेरे द्वारे में ।
होली-04, भलो भलो जनम लियो श्याम
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में…2
कौन पुरी में जनम लियो है,
कौन पुरी में वास राधिका…. भलो जनम……
मथुरा पुरी में जनम लियो है,
गोकुल कीजो वास राधिका….. भलो जनम……
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में…2
काहे के कोख में जनम लियो है,
कौन पिलाये दूध राधिका.. भलो जनम……
देवकि कोख में जनम लियो है
यशोदा पिलाये दूध राधिका… भलो जनम……
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में…2
काहे के वंश में जनम लियो है
काहे के लाल कहाय राधिका… भलो जनम……
बसुदेव वंश में जनम लियो है
नंद के लाल कहाय राधिका… भलो जनम……
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में…2
बाल ही लीला करत है कन्हैया,
दधि माखन को खाय राधिका….. भलो जनम……
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में -2
होली-05, घर लौटि चलो भगवान भरत
दशरथ राजा बांस काटन गये, अंगुलि लागि फास …
भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
घर लौटि चलो भगवान .. भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
दशरथ राजा की तीनों रनिया, तीनों पहरा देय
भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
घर लौटि चलो भगवान .. भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
पहलो पहरा रानि कौशल्या, नींद ना आई सारी रात
भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
घर लौटि चलो भगवान .. भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
दूसरो पहरा रानि सुमित्रा, चैन ना आई सारी रात
भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
घर लौटि चलो भगवान .. भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
तिसरो पहरा रानि कैकैयी को, घुर-घुर निद्रा होय
भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
घर लौटि चलो भगवान .. भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
मांग ले रानि जो मन इच्छा, जो मन इच्छा होय
भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
घर लौटि चलो भगवान .. भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
जो मैं मांगू तुम नहीं देवो, बचन अकारथ होय
भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
घर लौटि चलो भगवान .. भरत तुम परजा को दुख मत दीजो..
होली-06, धरती बनी है
धरती बनी है जो अमर कोई
धरती जो बनी है अमर कोई!
नौ लाख तारे गगन बिराजै!
सूरज चले चंदा दोई धरती!
नौ लाख गंगा, भू में बिराजै!
यमुना बहे गंगा दोई धरती
नौ लाख योधा जंग मै बिराजै!
राम मई लछिमन दोई धरती!
नौ लाख देवी जग में बिराजै!
काली माई दोई धरती!
नौ लाख तपस्वी जंग में बिराजै!
ध्रुव भयो श्रवण दोई धरती!
नौ लाख नेता जग में बिराजै !
गाँधी ममो जवाहर दोई धरती !
होली-07, सारे शहर सीता
सारे शहर सीता जागो रसिया!
सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया अंगना पार आवे!
भूकत है दुश्मन कुतिया ! सारे शहर जागे रसिया ………
जब रसिया दलिया पार आवे!
खांसत है दुश्मन बुढ़िया – सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया केवडा पर आये!
सौतन है दुश्मन केवडा .. सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया पलंग पर आये!
छनकत है दुश्मन चूड़ियाँ .. सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया माथ पर आवे!
छलकत है चूडिया… सारे शहर जागे रसिया !
सारे शहर सीता जी को रसिया!
जय कृष्ण कैन्हैया लाल की जय..
होली-08, सीता वन में अकेली
हां जी सीता वन में अकेली कैसे रही..
कैसे रही दिन रात, सीता वन में अकेली कैसे रही..
हां जी सीता रंग महल को छोड़ चली है
वन में कुटिया बनाय.. सीता वन में अकेली कैसे रही..
कैसे रही दिन रात, सीता वन में अकेली कैसे रही..
हां जी सीता षटरस भोजन छोड़ चली है
बन में बनफल खाय, सीता वन में अकेली कैसे रही..
कैसे रही दिन रात, सीता वन में अकेली कैसे रही..
हां जी सीता खाट पलंग सब छोड़ चली है
बन में पतिया बिछाय, सीता वन में अकेली कैसे रही..
कैसे रही दिन रात, सीता वन में अकेली कैसे रही..
होली-09, शम्भू आपु बिराजै
हाँ-हाँ जी शम्भू आपु बिराजै झाड़िन में,
झाड़िन में फुलवाड़ी, शम्भू आपु बिराजै झाड़िन में,
हां हां जी…………………
हां हां जी, शम्भू, सतयुग द्वापर त्रेतायुग में,
कलियुग को परिणाम,
शम्भू आपु…………
हां हां जी शम्भू, कै कोस की तेरी झाड़ी बनी है,
कै कोस परिणाम,
शम्भू आपु……………
हां हां जी शम्भू, सात कोस की मेरी झाड़ी बनी है,
धरम ओ परिणाम,
शम्भू आपु……………
हां हां जी शम्भू, देश-विदेश से आये दिगम्बर,
बाघम्बर हो बिछाई,
शम्भू आपु…………
हां हां जी शम्भू चारों दिशा से यात्री आये,
खोलो धरम केवाड़,
शम्भू आपु…………..
हां हां जी शम्भू, बैठे बाघम्बर ओढ़े दिगम्बर,
गौ चंवर डुलाई,
शम्भू आपु………….।
होली-10, प्रभु ने धारो
प्रभु ने धारो वामन रूप , राजा बली के दुआरे हरी
राजा बली को अरज सुना दो , तेरे दुआरे अतिथि हरी
मांग रे वमणा जो मन ईच्छा , सो मन ईच्छा में देऊं हरी
हमको दे राजा तीन पग धरती, काँसे की कुटिया बनाऊं हरी
मांग रे बमणा मांगी नी ज्याण, के करमो को तू हीना हरी
दू पग नापो सकल संसारा, तिसरौ पग को धारो हरी
राजा बलि ने शीश दियो है, शीश गयो पाताल हरी
पांचाला देश की द्रोपदी कन्या, कन्या स्वयंबर रचायो हरी
तेल की चासनी रूप की मांछी, खम्बा का टूका पर बांधो हरी
मांछी की आंख जो भेदी जाले, द्रोपदी जीत लिजालो हरी
दुर्योधनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , अन्धो पिता को तू चेलो हरी
कर्णज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , मैत घरौ को तू चेलो हरी
अर्जुनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख को भेदो हरी
अर्जुनज्यू उठें द्रौपदी लै उठी, जयमालै पहनायो हरी
पैली शब्द ओमकारा भयो है, पीछे विष्णु अवतार हरी
बिष्णु की नाभी से कमलक फूला, फूला में ब्रह्मा जी बैठे हरी
ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची है , तीनों लोक बनायो हरी
पाताल लोक में नाग बसो है , मृत्युलोक में मनुया हरी
स्वर्गालोक में देव बसे हैं , आप बसे बैकुंठ हरी।।
होली-11, बलमा घर आयो
बलमा घर आयो फागुन में -२
जबसे पिया परदेश सिधारे,
आम लगावे बागन में, बलमा घर…
चैत मास में वन फल पाके,
आम जी पाके सावन में, बलमा घर…
गऊ को गोबर आंगन लिपायो,
आये पिया में हर्ष भई,
मंगल काज करावन में, बलमा घर…
प्रिय बिन बसन रहे सब मैले,
चोली चादर भिजावन में, बलमा घर…
भोजन पान बानये मन से,
लड्डू पेड़ा लावन में, बलमा घर…
सुन्दर तेल फुलेल लगायो,
स्योनि श्रृंगार करावन में, बलमा घर…
बसन आभूषण साज सजाये,
लागि रही पहिरावन में, बलमा घर…
होली-12, करले अपण सिंगार राधिका
करले अपण सिंगार राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
आय गई दिन रात राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
नथुलि झुमका पैर राधिका, पंचलड़ पौंचि पैर राधिका
चरेवा हरेवा पैर राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
करले अपण सिंगार राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
घाघरि पिछौड़ा पैर राधिका, झांझन लच्छा पैर राधिका
टिकुलि बिन्दुलि लगैले राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
करले अपण सिंगार राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
काजल मेहन्दी लगैले राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
करले अपण सिंगार राधिका, तेरे अंगना होली आय गई
होली-13, बुरुंशी का फूलों
बुरुंशी का फूलों को कुमकुम मारो , डाना – काना छाजि गै बसंती नारंगी ।
पारवती ज्यूकि झिलमिल चादर , ह्यूं की परिन लै रंगे सतरंगी ।
लाल भई छ हिमांचल रेखा , शिव जी की शोभा पिंडली दनिकारी ।
सुरिजा की बेटियों लै सरग बै रंग घोलि , सारी ही गागरी ख्वारन खिति डारी ।
अबीर गुलाल की धूल उडीगे , लाल भया छन बादल सारा ।
घर-घर -” हो – हो होलक ” रे धुन , घरवाली जी रों वर्ष हजारा ।
खितकनि झमकनि गौना की भौजी , मालिक दैण हो भरियां भकार ।
पूत कुटम्ब नाती – प्वाथा जी रों, घर – बण सबनैकि हो जै – जै कार ….।”
- Kumaoni Holi Song Lyrics : कुमाउनी महिला होली गीत।
होली की असीस
गावैं, खेलैं, देवैं असीस, हो हो हो लख रे ।
बरस दिवाली बरसै फाग, हो हो हो लख रे ।
जो नर जीवैं, गावैं फाग, हो हो हो लख रे ।
आई बसंत कृष्ण महाराज का घरा, हो हो हो लख रे ।
श्री कृष्ण जीरों लाख बरीस , हो हो हो लख रे ।
यो गौं को भूमिया जीरो लाख बरीस, हो हो हो लख रे ।
यो घर की घरिणी जीरों लाख बरीस , हो हो हो लख रे ।
गोठ की घस्यारी जीरों लाख बरीस, हो हो हो लख रे ।
पानै की रस्यारी जीरों लाख बरीस, हो हो हो लख रे ।
यो घर का पुरुख, उनरी पधानी ज्यू ,
बाल-गोपाल और नाती-प्वाथा जीरों लाख बारिश, हो हो हो लख रे ।
गावैं, खेलैं, देवैं असीस हो हो हो लख रे।