भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बीच में नीले रंग का चक्र “अशोक चक्र” “Ashok Chakra” कहलाता है। यह चक्र महान बौद्ध सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गए सारनाथ की लाट से लिया गया है। इस चक्र में 24 तीलियाँ हैं। जिनका अपना अलग-अलग अर्थ है। 24 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को, देश के झंडे के रूप में स्वीकार किया था और झंडे के बीच में विद्यमान चरखे को हटाकर इस अशोक चक्र को स्थापित किया था।
Meaning of Spokes of Ashok Chakra
अशोक चक्र (Ashok Chakra) को कर्तव्य का पहिया भी कहा जाता है। जिसमें विद्यमान 24 तीलियाँ मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं। दूसरे शब्दों में इन्हें मनुष्य के लिए बनाए गए 24 धर्म मार्ग भी कहा जा सकता है, जो किसी भी देश को उन्नति के पथ पर पहुंचा सकते हैं।
अशोक चक्र की 24 तीलियों का अर्थ !
अशोक चक्र में दी गयी सभी चौबीस तीलियों का अर्थ (चक्र के क्रमानुसार) इस प्रकार हैं –
पहली तीली :- संयम।
अर्थ – अशोक चक्र की पहली तीली हमें संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है। संयम से कार्य करते हुए ही हम अपने पथ पर अग्रसर रह सकते हैं।
दूसरी तीली :- आरोग्य।
अर्थ – अशोक चक्र की दूसरी तीली हमें निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
तीसरी तीली :- शांति।
अर्थ – अशोक चक्र में विद्यमान तीसरी तीली हमें देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह देती है। देश में शांति ही हम सभी के लिए हितकारी है।
चौथी तीली :- त्याग।
अर्थ – अशोक चक्र में लगी चौथी तीली हमें देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास करने की प्रेरणा देती है।
पांचवीं तीली :- शील।
अर्थ- व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा।
छठी तीली :- सेवा।
अर्थ – देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा।
सातवीं तीली :- क्षमा।
अर्थ – अशोक चक्र में लगी सातवीं तीली क्षमा की प्रतीक है। यह हमें मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना रखने की प्रेरणा देती है।
आठवीं तीली :- प्रेम।
अर्थ – देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना।
नौवीं तीली :- मैत्री।
अर्थ -समाज में मैत्री की भावना।
दसवीं तीली :- बन्धुत्व।
अर्थ -देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना।
ग्यारहवीं तीली :- संगठन।
अर्थ -राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना।
बारहवीं तीली :- कल्याण।
अर्थ -देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना।
तेरहवीं तीली :- समृद्धि।
अर्थ -देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना।
चौदहवीं तीली :- उद्योग।
अर्थ-देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना।
पंद्रहवीं तीली :- सुरक्षा।
अर्थ-देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना।
सोलहवीं तीली :- नियम।
अर्थ-निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना।
सत्रहवीं तीली :- समता।
अर्थ-समता मूलक समाज की स्थापना करना।
अठारहवी तीली :- अर्थ।
अर्थ-धन का सदुपयोग करना।
उन्नीसवीं तीली :- नीति।
अर्थ-देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना।
बीसवीं तीली :- न्याय।
अर्थ-सभी के लिए न्याय की बात करना।
इक्कीसवीं तीली :- सहयोग।
अर्थ-आपस में मिलजुल कार्य करना।
बाईसवीं तीली :- कर्तव्य।
अर्थ-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना।
तेईसवी तीली :- अधिकार।
अर्थ – अधिकारों का दुरूपयोग न करना।
चौबीसवीं तीली :- बुद्धिमत्ता।
अर्थ-देश की समृद्धि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना।
इस प्रकार अशोक चक्र (Ashok Chakra) में दी गई हर एक तीली का अपना अर्थ है, सभी तीलियाँ सम्मिलित रूप से देश और समाज के चहुमुखी विकास की बात करती हैं। ये तीलियाँ सभी देशवासियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में स्पष्ट सन्देश देने के साथ- साथ यह भी बतातीं हैं कि हमें रंग, रूप, जाति और धर्म के अंतरों को भुलाकर पूरे देश को एकता के धागे में पिरोकर समृद्धि के शिखर तक ले जाने के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए।