Aipan Art of Uttarakhand : उत्तराखंड के कुमाऊँ में शुभ अवसर और त्यौहारों पर लाल और सफ़ेद रंग से अल्पना बनाने की परम्परा है, जिसे ऐपण कहते हैं। कुमाऊंनी समाज में ऐंपण सिर्फ कला नहीं है। यह संस्कारों का अंग भी है। वैसे तो बाजार में तरह तरह के रेडीमेड ऐपण आने लगे हैं, लेकिन ऐपण यानी भित्तिचित्र की यह परंपरा कत्यूरी काल से पहले की मानी जाती है।
ऐपणों में कई प्रकार के प्रतीक मिलते हैं। पहले इनको चावल के आटे के घोल और लाल मिट्टी से तैयार किए जाते थे। बाद में इनकी जगह रंगों का प्रयोग होने लगा। कुमाऊं में ज्योति और पट्टू को भी तैयार किया जाता है। यह चित्रांकन शैली को सामने लाता है। नामकरण संस्कार से लेकर विवाह तक के संस्कारों में ऐपण और ज्योति बनाने की परंपरा है। मातृपूजन के समय भी इसी तरह का ज्यूति पट्टा तैयार किया जाता है। उसमें कल्याणी, मंगला, भद्रा, पुण्या, पुण्यमुखी, जया, विजया के चित्र तैयार किए जाते हैं। ठीक इसी तरह ऐंपणों का भी अपना महत्व है। हर संस्कार के समय अलग-अलग ऐंपण बनाए जाते हैं जिनको पीठ नाम दिया जाता है। ( Aipan Art of Uttarakhand )
- सरस्वती पीठ – इसको काली और नव दुर्गा के पूजन के समय तैयार किया जाता है। इसमें नौ बिंदु बनाए जाते हैं। रेखाओं को एक दूसरे से जोड़ा जाता है।
- जनेऊ पीठ – जनेउ पीठ का निर्माण षट्कोण के अंदर किया जाता है। इसमें गायत्री के चतुर्भुजी रूप को दिखाया जाता है। जनेऊ या उपनयन के संस्कार में इसको तैयार किया जाता है।
- सूर्य चौकी – नामकरण के समय जब नवजात शिशु को सूर्य के दर्शन के लिए बाहर लाते हैं उस समय अष्ठकोणी चौकी तैयार की जाती है।
- धूलि अर्घ्य की चौकी – बारात के समय जब दूल्हा दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचता है तब उसके पांवों की जगह यह चौकी बनाई जाती है। कन्या का पिता दूल्हे के चरण धोता है।
- विवाह का ज्यूति प्रथा – इस तरह के पट्टे में विवाह संपन्न होने के बाद सूर्य, गणेश, चंद्रमा समेत सात मातृकाओं के चित्र अंकित किए जाते हैं।
- यज्ञोपवीत का पट्टा – उपनयन संस्कार होने के बाद किसी भी बालक को यज्ञोपवीत के पट्टे की पूजा करनी पड़ती है।
Aipan Art and Deepawali ऐपण और दीपावली
दीपावली के त्यौहार पर कुमाऊँ में लोग अपने घरों को ऐपण से सजाते हैं। देहरी पर सुन्दर ऐपण के साथ-साथ वसुधारे डाले जाते हैं। दीपावली में घर के द्वार पर ऐपण व अल्पना बनाना शुभ माना जाता है, सुख और समृद्धि की कामना से बनाई जाने वाली ये ऐपण डिजाइन खूबसूरत दिखने के साथ-साथ कहीं न कहीं हमारी संस्कृति और परम्पराओं को समृद्ध करते हैं। (Aipan Art of Uttarakhand )
- संस्कृति और परंपराओं के प्रतीक कुमाऊंनी ऐंपण।
- जिन्हें घर की बहु, गृह लक्ष्मी के रूप में बनाती हैं।
- और बेटियाँ मायके की दहलीज में अपनी याद दिलाती हैं।
Igas Bagwal | Budi Deepawali Uttarakhand| बूढ़ि दीवाली, हरिबोधिनी एकादशी और इगास