देवभूमि उत्तराखंड आध्यात्म एवं पर्यटन की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है, उत्तराखण्ड के हर एक स्थल की अपनी एक अलग पहचान है। आप देवभूमि में के किसी भी स्थल पर चले जाए हर जगह आपको प्रकृति का आनंद एवं सुकून जरूर मिलेगा। यहाँ आपको हर तरह की मनमोहक दृश्य देखने को मिलेगा और आध्यात्म से जुड़े लोगों को यहाँ साक्षात् भगवान होने की अनुभूति प्राप्त होती है। ऐसे ही कुछ पावन और आध्यात्मिक स्थलों में से एक है आदि कैलाश।
आदि कैलाश (Adi Kailash) जो छोटा कैलाश के नाम से भी जाना जाता है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भारत तिब्बत सीमा के पास स्थित है। धार्मिक मान्यताओं में आदि कैलाश की यात्रा का फल तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर यात्रा के बराबर माना गया है। दारमा, व्यास और चौदास घाटियों के बीच समुद्र सतह से 19505 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश को कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति के रूप में जाना जाता है । हिंदू पौराणिक कथाओं में लिखा है कि जब शिव माता पार्वती से व्याह करने जा रहे थे तब उन्होंने आदि कैलाश में ध्यान किया था और यहाँ अपना पड़ाव बनाया था। आदि कैलाश प्रकृति का एक रत्न है, बर्फ से ढकी चोटी घाटी के चारों ओर अपनी सुंदरता फैलाती है।
आदि कैलाश को पंच कैलाश में से एक माना जाता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के बाद आदि कैलाश यात्रा को सबसे पवित्र माना जाता है। आदि कैलाश को शिव कैलाश, छोटा कैलाश, बाबा कैलाश या जोंगलिंगकोंग पीक के नाम से भी जाना जाता है। आदि कैलाश के पास ही माँ पार्वती को समर्पित “पार्वती सरोवर” भी स्थित है। यहाँ “पार्वती सरोवर” में आदि कैलाश का स्वच्छ प्रतिबिंब देखा जा सकता है जो की इसे मानसरोवर के तुल्य बनाता है।
आदि कैलाश की यात्रा बेहद ही दुर्गम है। यहाँ की यात्रा सिर्फ गर्मियों में ही की जा सकती हैं। सर्दियों में यह क्षेत्र पूरा बर्फ से आच्छादित रहता है। यहाँ की यात्रा के मार्ग में आपको बर्फ से ढके हुए पहाड़, आकाश को चूमते हुए शिखरों, आध्यात्मिकता से भरपूर नारायण आश्रम, कल-कल बहती हुई काली गँगा, दैवीय शाँति एवं खूबसूरत नजारों से भरपूर प्रकृति के दर्शन होते हैं। आदि कैलाश यात्रा का मुख्य आकर्षण यहाँ स्थित ओम की आकृति वाले ॐ पर्वत (Om Parvat) का दर्शन है, जहाँ आपको हिमालय पर्वत पर पवित्र ओम की आकृति के स्पष्ट दर्शन होते हैं।
Nanda Kund (नंदा कुंड) – प्रकृति की एक अनमोल धरोहर।