मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रौ छ…हँसी ठिठोली पर आधारित होली गीत।

mero rangilo devar ghar

Mero Rangilo Devar Ghar: कुमाउंनी होली राग और फाग के साथ गीतों के गायन परम्परा के अलावा अपनी हँसी-ठिठोली के लिए प्रसिद्ध हैं। इन दिनों लोग विभिन्न प्रकार के स्वांग रचकर सभी का मनोरंजन करते हैं। ये स्वांग कुमाउनी होली में लोगों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। जिसमें विभिन्न युवाओं में बढ़ती नशाखोरी, शराब के बढ़ते प्रचलन, जल संरक्षण, बेटी पढ़ाओ, वन संरक्षण जैसे सामाजिक संदेश भी दिए जाते हैं। इनमें संवाद तो हँसी-ठिठोली यानी मनोरंजक बातों से परिपूर्ण होता है लेकिन इससे लोगों में जागरूकता फैलती है। 

हँसी-ठिठोली युक्त होली गीतों में ‘मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रौ छ‘ बहुत ही लोकप्रिय है। महिलायें हो या पुरुष, सभी इस कुमाऊंनी होली गीत को गाते हुए विभिन्न प्रकार के अभिनय के साथ मनोरंजन करते हैं। सभी दर्शक इस गीत और अभिनय देखने के लिए उत्सुक रहते हैं। प्रस्तुत पोस्ट में हम आपके लिए देवर-भाभी की हँसी-ठिठोली पर बनी इस होली गीत के लिरिक्स संकलित कर रहें हैं, जो कुमाऊंनी में हैं –

Mero Rangilo Devar Ghar lyrics

मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रौ छ …
मेरो लाड़लो देवर घर ऐ रौ छ..

कै हुँणी साड़ी, कै हुनी झम्पर,
कै हुँणी बिछुवा ल्यै रौ छ….
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ …
मेरो लाड़लो देवर घर ऐ रो छ..

कै हुँणी साड़ी,
कै हुँणी झम्पर,
मी हुँणी बिछुवा ल्यै रौ छ …
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रौ छ …
मेरो लाड़लो देवर घर ऐ रौ छ..

कै हुँणी बिन्दी,
कै हुँणी हुँणी पौडर
मी हुँणी लाली ल्यै रौ छ …
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रौ छ …
मेरो लाड़लो देवर घर ऐ रौ छ..

कै हुँणी घाघरी, कै हुँणी आँगड़ी
मी हुँणी चुनरी ल्यै रौ छ …
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रौ छ …
मेरो लाड़लो देवर घर ऐ रौ छ..

कै हुँणी लड्डू, कै हुँणी पेड़ा,
मी हुँणी बरफ़ी ल्यै रौ छ …
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रौ छ …
मेरो लाड़लो देवर घर ऐ रौ छ..

मेरो रंगीलो देवर घर होली गीत के ये लिरिक्स वर्षों से आज भी प्रचलन में हैं। लोग इसमें अपने लिरिक्स भी जोड़कर गाते हैं। यहाँ ‘ऐ रौ छ‘ का अर्थ है – आया है और ‘ल्यै रौ छ‘ का अर्थ है : लाया है अथवा लाये हैंकै हुँणी का अर्थ है : किसी और के लिए, वहीं ‘मी हुँणी‘ का मतलब है : मेरे लिए।

उत्तराखण्ड के लोकजीवन में देवर-भाभी का पवित्र रिश्ता होली के रंगों में और भी निखर जाता है। यह गीत देवर और भाभी के एक अनूठे रिश्ते की खूबसूरती को दर्शाता है। जिसमें देवर अपनी भाभी के लिए होली के त्यौहार में क्या-क्या अनूठी सौगात लेकर आया है का वर्णन किया गया है। इस गीत को प्रायः महिलाएं एकादशी के बाद प्रारम्भ हुए खड़ी होली के दौरान गाते हैं, जिसमें प्रायः भक्ति परक होलियों के साथ-साथ मनोरंजन के लिए देवर-भाभी के अनूठे रिश्ते को दर्शाते गीत होते हैं। पहाड़ में होली के दौरान गुड़ की भेली तोड़कर मिष्ठान के रूप में वितरित करने की पुरानी परम्परा भी है। 

Kumaoni Holi Songs (कुमाऊंनी होली गीत)

उत्तराखंड की कुमाऊंनी होली के ये गीत हर किसी को झूमने को मजबूर कर देते हैं। समूह में गाये जाने वाले ये गीत जहाँ पहाड़ की लोक परम्परा को समृद्ध करते हैं, वहीं ये लोगों में आपसी मेल-जोल, भाईचारे और उनकी एकता को प्रबल करते हैं। शहर की भाग दौड़ से कुछ दिन निकालकर यदि आप इन दिनों उत्तराखंड के गांवों की ओर जाते हैं तो अवश्य ही आप में नयी उमंग का संचार होगा। 

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