प्रसिद्ध कुमाऊंनी महिला होली गीत के लिरिक्स।

Kumaoni Mahila Holi Song

उत्तराखंड के कुमाऊँ में बैठकी होली और खड़ी होली के साथ-साथ ‘महिला होली’ भी अपने आप में बेहद ख़ास है। जिसमें सिर्फ महिलाओं की भागीदारी होती है। शहरी क्षेत्रों में महिलाएं बसंत पंचमी से बैठ होली गाने की शुरुआत करते हैं। जहाँ फाग और राग के साथ शास्त्रीय होली गायन की महफ़िलें सजती हैं। फिर एकादशी तिथि से होली प्रारम्भ होने पर जगह-जगह महिलायें समूहों में होली मिलन का आयोजन करती हैं, जहाँ ढोलक और मजीरे की ताल पर बैठकी और खड़ी होली गीतों का गायन होता है। इस दौरान महिलायें विभिन्न प्रकार के स्वांग रचकर हँसी-ठिठोली भी करते हैं। उनके द्वारा होली गीतों के माध्यम से जन जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। वे युवाओं में बढ़ती नशाखोरी, शराब, पानी की बचत, स्वच्छता जैसे कई सामाजिक संदेशों को स्वांग के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। अल्मोड़ा, नैनीताल, हल्द्वानी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत समेत विभिन्न स्थानों में महिलाओं की मंडलियां अपने-अपने घरों में होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन करवाते हैं, जहाँ पूरी तरह से महिलाओं की ही भागीदारी होती है। 

कुमाऊंनी महिला होली गीत: यहाँ विभिन्न स्रोतों से संकलित कुमाऊं में महिलाओं द्वारा गाई जाने वाली बैठकी और खड़ी होली गीतों के लिरिक्स एक साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसे आप होली के दौरान एक साथ प्राप्त कर सकते हैं। 

होली गीत – हां, हां, हां मोहन गिरधारी

हां, हां, हां मोहन गिरधारी,
ऐसो अनाड़ी चुनर गयो फाड़ी,
हां, हां, हां मोहन……
ओ हो, हंसी-हंसी दे गयो गारी,
मोहन गिरधारी,
हां, हां, हां, मोहन…….
चीर चुराय कदम्ब चढि बैठो,
पातन जाय छिपोई,
मोहन गिरधारी,
हां, हां, हां मोहन…….
बांह पकड़, मोरि अंगुली मरोड़ि,
नाहक राड़ मचाय,
मोहन गिरधारी,
हां, हां, हां मोहन…….
दधि मेरो खाय, मटकि मेरि तोड़ी,
हांसी-हंसी दे गयो गारी,
मोहन गिरधारी,
हां, हां, हां मोहन…….
हरी-हरी चूड़ियां पलंग पर तोड़ी,
नाजुक बइयां मरोड़ी,
मोहन गिरधारी,
हां, हां, हां मोहन…….
आवन कह गये, अजहूं न आये,
झूठी प्रीत लगाई,
मोहन गिरधारी,
हां, हां, हां मोहन…….
सांवल रुप, अहीर को छोरो,
नैनन की छवि न्यारी,
मोहन गिरधारी,
हां, हां, हां मोहन…….।


जल कैसे भरूँ जमुना गहरी

जल कैसे भरूँ जमुना गहरी।
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥
ठाड़ी भरूँ राजा राम जी देखे,
हे ठाड़ी भरूँ राजा राम जी देखे।
बैठी भरूँ भीजे चुनरी…
जल कैसे भरू जमुना गहरी।
बैठी भरूँ भीजे चुनरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥

धीरे चलूँ घर सास बुरी है,
हे धीरे चलू घर सास बुरी है।
धमकि चलूँ छलके गगरी….
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
धमकि चलूँ छलके गगरी….
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी।
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥

गोदी पर बालक, सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक, सिर पर गागर।
पर्वत से उतरी गोरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
पर्वत से उतरी गोरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥

आयो नवल बसंत सखी – Kumaoni Mahila Holi Song

आयो नवल बसंत सखी ऋतुराज कहायो
पुष्प कली सब फूलन लागी, फूल ही फूल सोहाई
ऐसो मोरियाली फूल ही फूल सोहाई
कामिनीक के मन मंजरी फूले, उन बीच श्याम सोहाई
सखी ऋतुराज कहायो
आयो नवल………
बन पंछी सब बोलन लागे,

हाँ बोलन लागे कोयल कूक सुनाए ऐसो मोरियाली कोयल कूक सुनाए,
पिया पिया मन रटत पपीहा, पिया बिन कछु ना सोहाई
सखीऋतुराज कहाई, आयो नवल……
सब ऋतुवान को राजा भयो है तब ऋतुराज कहाई ऐसो मोरियाली तब ऋतुराज कहाई,

पिहलो पीताम्बर पिहली पगड़िआ, पिहली घोड़ींन चढ़ी आए, सखी ऋतुराज कहाए आयो नवल…….
इत से आई चतुर राधिका, ऊत से कृष्ण मुरारी,

ऐसो मोरियाली ऊत से कृष्ण मुरारी,आपस में मिल होली खेलें
शोभा बरनी न जाए सखी ऋतुराज कहाए
आयो नवल……

जल भरन चली दोनों बहिना

जल भरन चली दोनों बहिना,
कहां से आई देवकी बहना,
कहां से आई यशोदा,
जल भरने……
मथुरा से आई देवकी बहिना,
गोकुल से आई यशोदा,
जल भरने……
क्या दुःख लागो देवकी बहिना,
मुझको बता दे बहिना
जल भरने……
सात गरभ मेरे कंस ने मारे,
अब आयो भादो महिना,
जल भरने……
ये बालक तेरो जुग-जुग जीवैं,
अब आयो कंस का मरना,
जल भरने……।

सजना घर आये कौन दिना

सजना घर आये कौन दिना, सजना घर आये कौन दिना
बलमा घर आये कौन दिना, बलमा घर आये कौन दिना

मेरे बालम के तीन नाम हैं, ब्रह्मा बिष्णु,हरि चरना।
सजना घर आये कौन दिना

मेरे बालम के तीन शहर हैं, दिल्ली, आगरा और पटना।
बलमा घर आये कौन दिना

अपने बालम के चरण दबाऊँ, तेल मलूँ तन में बेसना।
सजना घर आये कौन दिना

अपने बालम को भोजन खिलाऊँ,षटरस स्वादिष्ट व्यंजना।
बलमा घर आये कौन दिना

अपने बालम की सेज बिछाऊँ,सौड़ा सुफेंद और पलगा।
सजना घर आये कौन दिना

अपने बालम के बाग बगीचे,नीबू, नारंगी और दाड़िमा।
बलमा घर आये कौन दिना

बलमा मत बोलो (Kumaoni Mahila Holi Song)

बलमा मत बोलो बिखर जाऊंगी-२
मेरे पिछवाड़े में बाग-बगीचे-२
कोयल होके उड़ जाऊंगी,
बलमा मत…….
मेरे पिछवाड़े में महल बहुत हैं-२
रानी बनके रह जाऊंगी,
बलमा मत ……
मेरे आगे गंगा बहत है-२
मछली होके निकल जाऊंगी,
बलमा मत………..
मेरे आगे कुंवा बहुत है-२
मेढ़क होके निकल जाऊंगी,
बलमा मत…….
मेरे पिछवाड़े सौदा बहुत है-२
सौदा बनकर बिक जाऊंगी,
बलमा मत……….
मेरे पिछवाड़े साधु बहुत हैं-२
जोगिन बनकर रह जाऊंगी,
बलमा मत……..
मेरे आगे फूल बहुत हैं-२
भौंरा होके निकल जाऊंगी,
बलमा मत………………
मेरे आगे झाड़ी बहुत है-२
कांटा बनके रह जाऊंगी,
बलमा मत बोलो बिखर जाऊंगी-२॥

रंग से रंगे दोनों हाथ,

रंग से रंगे दोनों हाथ, सखि री मेरा घूंघटा संभालो,
घुंघटा संभालो मेरा, घुंघटा सम्भालो,
रंग से रंगे……………….
पायल सम्भालो मेरे, बिछुवे सम्भालो,
झांझर सम्भालो दोनों हाथ,
सखि री मेरा…………….
कंगना सम्भालो मेरी, अंगूठी सम्भालो,
चुडि़यां सम्भालो दोनो हाथ
सखि री मेरा…………..
हारो सम्भालो मेरी, माला सम्भालो,
नगने सम्भालो दोनों हाथ
सखि री मेरा……..
कुण्डल सम्भालो मेरी, बाली सम्भालो,
झुमके सम्भालो दोनों हाथ,
सखि री मेरा………….
नथनी सम्भालो मेरी, बैंदा सम्भालो,
टीका सम्भालो दोनों हाथ,
सखि री मेरा………..
चुनरी सम्भालो मेरी, साड़ी सम्भालो,
लहंगा सम्भालो दोनो हाथ,
सखि री मेरा………..।

नयनवां रस के भरे

नयनवां रस के भरे, सईयां आओगे कौन घड़ी,
गणपति भी खेलें, रिद्धि संग होली,
हमही रहे मन मारे, बलमा जी आओगे कौन घडी।
ब्रह्मा भी खेलें, सरस्वती संग होली.
हमही रहे मन मारी, सईयां आओगे कौन घड़ी॥
विष्णु भी खेलें, लक्ष्मी संग होली,
हमही रहे मन मारे, बलम जी आओगे कौन घड़ी।
शंकर भी खेलें, पार्वती संग होली,
हमही रहे मन मारे, सईयां आओगे कौन घड़ी॥
राम भी खेलें, सिया संग होली,
हम ही रहे मन मारे, बलम जी आओगे कौन घड़ी।
कॄष्णा भी खेलें, राधा संग होली,
हमही रहें मन मारे, सईयां आओगे कौन घड़ी॥
सासुल भी खेलें, ससुर संग होली,
हमही रहे मन मारे, बलम जी आओगे कौन घड़ी।
जेठ भी खेलें, जेठानी संग होली,
हमही रहे मन मारे, सईयां आओगे कौन घड़ी॥
देवर भी खेलें, देवरानी संग होली,
हमही रहे मन मारे, बलम जी आओगे कौन घड़ी।
ननद भी खेलें, नन्दोई संग होली,
हमही रहे मन मारे, सईयां आओगे कौन घड़ी॥

आओ रे गोपाल श्रृंगार करुं

आओ रे गोपाल श्रृंगार करुं मैं तेरा,
मोतियन मांग अबीर भरुंगी,
आओ रे गोपाल………….
माथे पर बिन्दिया नैनों में कजरा,
मोतियन मांग अबीर भरुंगी,
आओ रे गोपाल………
अपने वस्त्र मैं तुम्हें पहनाऊं,
मैं तुमरे पहौं रे गोपाल,
आओ रे गोपाल………
अपने गहने मैं तुम्हें पहनाऊं,
मैं तुमरे पहनूं रे गोपाल,
आओ रे गोपाल………
तुम बन जाओ हमरी दुल्हनियां,
हम नन्द के लाल कहावै,
आओ रे गोपाल………।

मैं कोसूंगी कुंज बिहारी

मैं कोसूंगी कुंज बिहारी,
लला मोरि नवल चुनरिया फाड़ी,
बरज दे यशोदा अपने कान्ह पर,
तोड़त पुष्प हजारी,
मोती बिखर गई रंग महल में,
चुन रहिं सखियां सारी,
लला मोरि नवल चुनरिया फाड़ी,
मैं कोसूंगी………………
अखियां मारत नवल किशोर,
हम्से करत है यारी,
छेड़-छाड़ करत सखियों से,
वसन दियो सब फाड़ी,
लला मोरि नवल चुनरिया फाड़ी,
मैं कोसूंगी……………………
हंस कर कहे राधा कान्हा से,
मत छूना मोरी साड़ी,
नहीं तो मारुंगी पिचकारी,
लला मोरि नवल चुनरिया फाड़ी,
मैं कोसूंगी…………………।

पैलागों कर जोरी

पैलागों कर जोरी, श्याम मोसे खेलो न होरी,
मैं यमुना जल भरन चली हूं,
सास ननद की चोरी,
पैलागों कर जोरी…………..
सारी चुनर मोरी रंग न भिजाबो,
इतनी अरज सुनु मोरी,
जाहु घर लाल बहोरी,
पैलागों कर जोरी………..
छीन लई मोरी हाथ से गागरी,
हठ कर बइयां मरोरी,
जी धड़कत है, सांस चलत है,
क्यों रोकत राह मोरी,
अरज करुं कर जोरी,
पैलागों कर जोरी………..
अबीर गुलाल मलो न मिख पर,
ना डारो रंग गोरी,
सासु हजारन गारी देंगी,
बालम जीता न छोरी,
कहो विष खाय मरोरी,
पैलागों कर जोरी………..
फाग खेलके तू मनमोहन,
का गति कीन्ही मोरी,
सखियन बीच में लाज गंवाई,
आज करत बरजोरी,
आऊं कैसे ब्रज की खोरी,
पैलागों कर जोरी………..।

पनिया भरन मत जाओ

पनिया भरन मत जाओ गुजरिया, पनिया भरन मत जाओ
पनिया भरन मत जाओ गुजरिया, पनिया भरन मत जाओ

नन्द को लाल बड़ो रसिया है – नन्द को लाल बड़ो रसिया है
अपना यौवन ना लुटा- गुजरिया, पनिया भरन मत जा
पनिया भरन मत जा गुजरिया, पनिया भरन मत जाओ

नन्द को लाल बड़ो बेदर्दी – नन्द को लाल बड़ो बेदर्दी
उनसे ये गिन ना लुटा- गुजरिया, पनिया भरन मत जा
पनिया भरन मत जा गुजरिया, पनिया भरन मत जाओ

गोकुल, मथुरा और वृन्दावन- गोकुल, मथुरा और वृन्दावन
और भले कहाँ जाए- गुजरिया, पनिया भरन मत जा
पनिया भरन मत जा गुजरिया, पनिया भरन मत जाओ

राधाकान्त बड़ो रसिया है- राधाकान्त बड़ो रसिया है
अपना ईमान ना डिगाओ- गुजरिया, पनिया भरन मत जा
पनिया भरन मत जा गुजरिया, पनिया भरन मत जाओ[

रंग में होली कैसे खेलूँगी मैं

रंग में होली कैसे खेलूँगी मैं, सांवरिया के संग। रंग में होली कैसे,,,,
अबीर उड़ता , गुलाल उड़ता, उड़ते सातों रंग,
भर पिचकारी सन्मुख मारी, अँगिया हो गई तंग।
रंग में होली कैसे खेलूँगी मैं, सांवरिया के संग।
तबला बाजे, सरंगी बाजे और बाजे मृदंग,
कान्हा जी की बांसुरी बाजे राधा जी के संग।
रंग में होली कैसे खेलूँगी मैं, सांवरिया के संग।
कोरे-कोरे कलस मंगाए तापर घोला रंग,
भर पिचकारी सन्मुख मारी, अँगिया हो गई तंग।
खसम तुम्हारे बड़े निखट्टू, चलो हमारे संग,
रंग में होली कैसे खेलूँगी मैं, सांवरिया के संग।

मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ

मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ …
मेरो लाडलो देवर घर ऐ रो छ..
के हुनी साड़ी के हुनी झम्पर,
कै हुनी बिछुवा लै रो छ….
सास हुनी साड़ी,
ननद हुनी झम्पर,
मैं हुनी बिछुवा लै रो छ …
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ . . .
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ . . .
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ . . .

कुमाऊँ में होली का पर्व केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का ही नहीं, बल्कि पहाड़ी सर्दियों के अंत के साथ-साथ बसंत और चैत्र मास की ख़ूबसूरती का भी प्रतीक है, इन होलियों में कुमाऊँनी, बृज मिश्रित हिंदी भाषा का बहुतायत से प्रयोग होता है और इसमें देवी देवताओं, कृषि, देवर भाभी, पिया/ बलम, प्रकृति और जन समुदाय को माध्यम बनाकर पीढ़ी दर पीढ़ी होली गाई जा रही है। 


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