38th National Games Mascot: उत्तराखंड में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों में देश के विभिन्न प्रदेशों से पहुंचे खिलाड़ी पूरे जोश के साथ अपना दम दिखा रहे हैं, वहीं वे खूबसूरत प्रदेश उत्तराखंड की भव्यता और आतिथ्य सत्कार से अभिभूत नजर आ रहे हैं। दूर-दूर से पहुंचे खेल प्रेमी इन खेलों के रोमांच के साथ-साथ उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा, लोक संस्कृति और समृद्ध परंपराओं से रूबरू हो रहे हैं।
38th National Games
इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में नीले, पीले, हरे, बैंगनी जैसे चटकीले रंगों के साथ एक खूबसूरत प्रतिरूप सभी का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जिसका नाम “मौली” रखा गया है। मौली 38वें राष्ट्रीय खेलों का मैस्कॉट यानी शुभंकर है। जो उत्तराखंड के राजकीय पक्षी ‘मोनाल’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
विभिन्न खेल स्थलों में लगाए गए मौली के स्टैच्यू आयोजन स्थल की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे हैं, साथ ही वे खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं। हर कोई इसकी खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद कर रहे हैं। मौली का एक रूप खेल मैदान में भी दिखाई दे रहा है। वह खिलाड़ियों और दर्शकों से संवाद स्थापित कर खेलों के प्रति जोश और उमंग बढ़ा रहा है। खिलाड़ी न केवल मौली के साथ सेल्फी ले रहे हैं, बल्कि पहाड़ी गीतों पर थिरकते हुए खेल आयोजन का आनंद भी उठा रहे हैं। इस आयोजन से उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊंचाई और पारंपरिक परिधानों को राष्ट्रीय मंच पर भव्यता से प्रदर्शित किया जा रहा है।
मौली को ही क्यों बनाया गया शुभंकर?
राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर मौली (Mauli) को मोनाल पक्षी (Monal) के रूप से लिया गया है। जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मिलने वाला एक दुर्लभ प्रजाति का परिंदा है। चटकीले नीले, सुनहरे पीले, लाल, हरे रंग के पंखों वाला बेहद आकर्षक यह परिंदा यहाँ की समृद्ध जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह वहां का राजकीय पक्षी है जहाँ खेल आयोजित हो रहे हैं। मोनाल इस क्षेत्र की अद्वितीय प्राकृतिक और विविधता को दर्शाता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मोनाल का अस्तित्व खतरे में है, खेलों के शुभंकर के रूप में मौली पर्यावरण संरक्षण का भी सन्देश देता है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ समृद्ध जैव विविधता का प्रतीक होने के कारण ‘मौली’ को शुभंकर के रूप में चुना ताकि इसे राष्ट्रीय पहचान मिले और संरक्षण के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाये जा सके। भविष्य की पीढ़ी में जैव विविधता की रक्षा की भावना पैदा की जा सके। 38th national games mascot
मौली के जीवंत रंग और सुन्दर रूप इसे एक आकर्षक शुभंकर बना रहे हैं, जो प्रतिभागियों और दर्शकों बराबर अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। मौली न केवल पहाड़ी क्षेत्र में होने वाले इस आयोजन की थीम को मजबूत कर रहा है, बल्कि अपार दर्शकों के बीच प्रत्याशा और रुचि पैदा करने में भी मदद कर रहा है, जिससे खेलों की देखने और इसके प्रभाव में भी वृद्धि हो रही है।
मोनाल की खास बातें
मोनाल (Monal) का वैज्ञानिक नाम Lophophorus impejanus है। जो उच्च हिमालयी क्षेत्र 6000 से 14000 फ़ीट की ऊंचाई पर पाया जाता है। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इसे राज्य पक्षी के रूप में चुना गया। नर मोनाल चमकदार नीले, सुनहरे पीले, लाल और हरे रंग के सुन्दर पंखों वाले होते हैं, वहीं मादा मोनाल चित्तीदार भूरे रंग के पखों वाले होते हैं। बेहद दुर्लभ प्रजाति और संरक्षण की सबसे अधिक जरुरत होने के कारण मोनाल को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में रखा गया है।
38वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर मौली को हिमालयी परिंदा मोनाल का रूप देकर इसके संरक्षण में एक अच्छी पहल है, साथ ही उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किए गए इस अनूठे प्रयास से राज्य पक्षी मोनाल को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली है, जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।